ज्ञान के नए स्रोत : WhatsApp और Facebook Vivek Tariyal November 19, 2017 बात बहुत ज़्यादा पुरानी नहीं है, लोगों को ऑरकुट का चस्का लग ही रहा था और लोग इंटरनेट पर रिजल्ट दिखने के साथ-साथ ईमेल आईडी… Continue Reading
रौशनी से डर लगता है ! (भाग – १) Vivek Tariyal November 9, 2017 इतने सालों की गुलामी ने कहीं न कहीं हमें मानसिक जंजीरों में बाँध दिया है। गुलामी का एक नया रूप आज सामने है "लोकतान्त्रिक गुलामी"।… Continue Reading
स्वप्न ही शेष है ! Vivek Tariyal November 5, 2017 क्या वास्तव में यह स्वप्न मात्र दिवास्वप्न बनकर रह जाने के लिए था? क्या हमारे वीरों और वीरांगनाओं ने ऐसे ही भारत की कल्पना की… Continue Reading