नमस्कार। पुस्तक की विस्तृत समीक्षा से पूर्व मैं कविता संग्रह “हसरतें” के लेखक श्री सजल मेहरा “मैहर” जी को हार्दिक बधाई देता हूँ एवं उनके मंगल भविष्य की कामना करता हूँ। हर साहित्यिक रचना अपने में अनूठी एवं अलग होती है एवं यहाँ प्रस्तुत समीक्षा मेरी समझ एवं व्यक्तिगत मत से प्रभावित है जिसे अन्यथा नहीं लेना चाहिए।
आइए इस पुस्तक की स्टार रेटिंग से आपका परिचय करवाया जाए –
- शीर्षक – 3/5
- आवरण – 3/5
- विषय वस्तु – 3/5
- भाषा प्रयोग – 2.5/5
- प्रस्तुति – 2.5/5
- कुल रेटिंग – 2.8/5
पुस्तक के विषय में – “हसरतें” एक काव्य संग्रह है जिसमें कवि ने अपने अंतर्मन के भावों को लेखनी के माध्यम से पाठकों के समक्ष रखने की सुन्दर कोशिश की है। चूँकि यह काव्य संकलन किसी विषय विशेष पर आधारित नहीं है इसलिए ऐसा माना जा सकता है कि यह कवि द्वारा चयनित अपनी रचनाओं को पाठकों तक पहुँचाने का अनोखा एवं ईमानदार प्रयास है।
मानवीय संवेदनाओं को प्रखर स्वर देते हुए कवि ने अपनी रचनाओं में ऐसे विषयों एवं भावों को उकेरा है जिससे उनके मानव संवेदनाओं के प्रति मार्मिक व्यक्तित्व का पता चलता है। चाहे वृद्धावस्था की व्यथा हो या बचपन फिर से जीने की तीव्र इच्छा हो, कवि ने अपनी रचनाओं में कई जगह अच्छे मानवीकरण का परिचय दिया है। कई कविताओं में कठिन शब्दों के अर्थ भी उपलब्ध करवाए गए हैं जिससे पाठकों को कविता के भाव को समझने में सहायता होती है।
इस काव्य संकलन की एक विशेष बात यह भी है कि हिंदी भाषा के साथ-साथ अंग्रेजी भाषा में भी कविताओं को प्रकाशित किया गया है।
श्रृंगार पर कलम चलते हुए कवि ने टूटे हुए हृदय के खालीपन का मार्मिक चित्रण किया है एवं कविताओं के माध्यम से सांप्रदायिक सद्भाव की भावना का प्रसार करने का भी प्रयास किया है।
लेखन समीक्षा – कवि द्वारा सरल शब्दों का इस्तेमाल किया गया है। जहाँ कहीं भी कठिन शब्दों का प्रयोग है, वहाँ कविता के नीचे ही उन शब्दों के अर्थ दिए गए हैं। यदा कदा अंग्रेजी भाषा के शब्दों का प्रयोग भी देखा जा सकता है। साहित्यिक शब्दों का उपयोग ज़्यादा नहीं किया गया है। मेरे मत में कवि के विचार उनकी रचनाओं से ज़्यादा परिपक्व लग रहे हैं। कविता स्वर कहीं बनता है तो कहीं कहीं और अच्छा होने की सम्भावनाएँ भी नज़र आती हैं। कविताओं में अलंकारों के दृष्टि से मानवीकरण का ही इस्तेमाल देखने को मिलता है एवं कवि द्वारा छंदमुक्त शैली का उपयोग किया गया है जिस कारण बहुत ज़्यादा तुकबंदी पढ़ने को नहीं मिलती है। कुछ रचनाएँ बहुत छोटी हैं जिनमें और बहुत कुछ लिखे जाने की गुंजाईश हो सकती है। कई रचनाएँ ऐसी हैं जिन्हें पढ़कर पुराने दिन अकस्मात् ही याद आ जाते हैं एवं मन यादों के भवसागर में हिलोरें लेने लगता है। कवि द्वारा अपने मन के भावों को शब्द देकर रचनाओं का निर्माण निश्चित रूप से प्रशंसनीय है।
आलोचनात्मक टिप्पणी :
- कवि एवं प्रकाशक द्वारा पुस्तक की प्रूफरीडिंग एवं एडिटिंग में ढेरों गलतियाँ की गई हैं, जिस कारण रचना को पढ़ने की लय में व्यवधान उत्पन्न होता है।
- कवि एवं प्रकाशक का यह नैतिक कर्त्तव्य है कि पुस्तक में भाषा, वर्तनी एवं व्याकरण की कम से कम गलतियाँ हों क्योंकि हर प्रकाशित पुस्तक पाठक के लिए हिंदी भाषा, वर्तनी एवं व्याकरण हेतु आदर्श होती है। यह हमारी नैतिक ज़िम्मेदारी है कि पाठक को सही एवं भाषा की दृष्टि से आदर्श सामग्री उपलब्ध करवाएँ।
- पुस्तक के आवरण पृष्ठ को और अधिक आकर्षक बनाया जा सकता है। आवरण पुस्तक के भावों को सम्प्रेषित नहीं कर रहा है।
- प्रकाशक द्वारा पुस्तक के लेआउट पर खास काम नहीं किया गया है जिससे पुस्तक भीतर से आकर्षक नहीं लगती है।
इसमें कोई संदेह नहीं कि इस कविता संग्रह में प्रयुक्त एक-एक शब्द लेखक के हृदय में उमड़े भावनाओं के भवसागर की अभिव्यक्ति है एवं उनका यह प्रयास निश्चित रूप से प्रशंसनीय है। पुनः मैं लेखक को बधाई एवं भविष्य हेतु शुभकामनाएँ देता हूँ।
इस कविता संग्रह को अमेज़न से नीचे दिए गए लिंक द्वारा खरीदा जा सकता है।