नमस्कार। पुस्तक की विस्तृत समीक्षा से पूर्व मैं कहानी संग्रह उसके हिस्से का प्यार के लेखक श्री आशीष दलाल जी को हार्दिक बधाई देता हूँ एवं उनके मंगल भविष्य की कामना करता हूँ। हर साहित्यिक रचना अपने में अनूठी एवं अलग होती है एवं यहाँ प्रस्तुत समीक्षा मेरी समझ एवं व्यक्तिगत मत से प्रभावित है जिसे अन्यथा नहीं लेना चाहिए।
आइए इस पुस्तक की स्टार रेटिंग से आपका परिचय करवाया जाए –
- शीर्षक – 4/5
- आवरण – 4/5
- भूमिका (ब्लर्ब) – 4/5
- कथानक – 4/5
- भाषा प्रयोग – 3.5/5
- प्रस्तुति – 3/5
- कुल रेटिंग – 3.75/5
पुस्तक के विषय में – उसके हिस्से का प्यार एक कहानी संग्रह है जिसमें लेखक आशीष दलाल जी ने प्रेम के अलग-अलग मायनों एवं रूपों को कहानी के माध्यम से पाठकों के समक्ष प्रस्तुत किया है। प्रेम के विभिन्न रूपों की समीक्षा एवं अन्वेषण करता यह कहानी संग्रह निश्चित रूप से पाठकों को पसंद आने योग्य है। सामान्यतः प्रेम की अवधारणा को लैंगिक आकर्षण एवं शारीरिक तुष्टिकरण के नज़रिए से देखा जाता है, किन्तु प्रस्तुत कहानी संग्रह प्रेम का ऐसा चित्र पाठक के समक्ष प्रस्तुत करता है जो मनुष्य के सामाजिक सामंजस्य और विभिन्न रिश्तों के बीच बसे प्रेम तत्त्व को उजागर करता है। माँ-बेटे, भाई बहन, पति-पत्नी, पिता-बेटी इत्यादि रिश्तों पर कहानियाँ गढ़ते हुए आशीष जी सामाजिक कुरीतियों एवं कुत्सित मानसिकता पर गहरा प्रहार करते हैं। विभिन्न घरेलु मुद्दों को कलात्मकता के साथ रखते हुए लेखक पाठक को सोचने पर मजबूर कर देता है और शब्दों का सटीक इस्तेमाल करते हुए जीवन के विभिन्न अनुभवों से परिचय करवाते हुए पाठक की अंतरात्मा को झकझोर देता है।
लेखन समीक्षा – सरल, सहज एवं आम भाषा के शब्दों का इस्तेमाल करते हुए लेखक ने कहानी को सहजता से पाठकों के बीच रखा है। कहानी के शुरुआती अनुच्छेद कहानी को आगे पढ़ने की जिज्ञासा और भी बढ़ा देते हैं। अति संवेदनशील मुद्दों को भी स्वच्छ शब्दों में पिरो कर लेखन की मर्यादाओं का ध्यान रखते हुए लेखक ने सभी के समक्ष प्रस्तुत किया है। विभिन्न परिस्थितियों का सजीव, सटीक एवं वास्तविक चित्रण प्रशंसनीय है।
इस कहानी संग्रह की कुछ बातें जो मुझे बहुत पसंद आई कुछ इस प्रकार हैं –
- घरेलु मुद्दों को उठाया गया है एवं आम व्यक्ति की संवेदनाओं को सजीवता से प्रकट किया गया है।
- कहानी “अपना बेटा” मार्मिक तरीके से बच्चों द्वारा माँ बाप के परित्याग की संवेदनशीलता को बयां करती है।
- कहानी “अंतिम संस्कार” सामाजिक कुरूपता पर करारा व्यंग्य है जो पाठक के अंतर्मन पर गहरा प्रभाव बनाती है।
- लेखक ने सरलता एवं स्पष्टता के साथ हर मुद्दे को उठाया है एवं कहानी के माध्यम से पाठक मन पर क्रांति के भाव जागृत किए हैं।
आलोचनात्मक टिप्पणी :
- पुस्तक की एडिटिंग एवं प्रूफरीडिंग पर और ध्यान देने के आवश्यकता है, कई शब्दों की वर्तनी में गलतियाँ देखी जा सकती हैं।
- वाक्य रचना भी कई जगह क्रिया से ज़्यादा कर्ता पर केंद्रित है जो वाक्य के बहाव को अवरुद्ध करता है और पाठन में हल्का ही सही पर व्यवधान उत्पन्न करता है।
- कुछ जगहों पर शब्द प्रयोग को साहित्यिक दृष्टि से और अच्छा करने की आवश्यकता है।
- कहानियों में भले ही उठाए गए मुद्दे पाठक विचार हेतु छोड़ दिए गए हैं किन्तु कुछ विषयों पर लेखक को अपने विचार में उपायों की चर्चा करनी चाहिए।
इसमें कोई संदेह नहीं कि इस कहानी संग्रह में प्रयुक्त एक-एक शब्द लेखक के ह्रदय में उमड़े भावनाओं के भवसागर की अभिव्यक्ति है एवं उनका यह प्रयास निश्चित रूप से प्रशंसनीय है। पुनः मैं लेखक को बधाई एवं भविष्य हेतु शुभकामनाएँ देता हूँ।
इस कहानी संग्रह को अमेज़न से नीचे दिए गए लिंक द्वारा खरीदा जा सकता है।